5. अनंतमूल

(इंडियन सरसापारिल्ला)

औषधीय गुण

अनंतमूल की जड़ों को सुखाकर औषधि में प्रयोग करते हैं।

यह औषधि ज्वर, त्वचा रोग, भूख न लगना, आतशक, श्वेत प्रदर तथा मूत्र रोगों में लाभदायक है। इसका मूत्रल गुण परीक्षणों द्वारा सिद्ध हुआ है। यह औषधि रक्त को शुद्ध करने के लिए तथा गठिया में बहुत प्रयोग होती है।

अस्पतालों में रोगियों पर किए गए परीक्षणों द्वारा इस बात की पुष्टि की गई है कि अनंतमूल स्मीलाक्स के पौधों से प्राप्त औषधि के स्थान पर भली भांति प्रयोग की

जा सकती है।

अन्य उपयोग

अनंतमूल की पतली पत्तियों वाली किस्म के ताजे पत्ते चबाने से शरीर में ताजगी

आती है।

वैज्ञानिक (लैटिन) नाम, कुल, अन्य नाम तथा विवरण

वैज्ञानिक नाम : हेमीडेस्मुस इंडिकुस [Hemidesmus indicus (L. Schult)]

(कुल-पेरीप्लोकेसिए)

अन्य नाम : हिंदी- हिंदी सलसा, अनंतमूल

संस्कृत- नाग जिह्वा

गुजराती-धूरीवेल

तमिल- नन्नारी

तेलुगू- मुत्तावपुलगमु

बंगला, उड़िया, मराठी- अनंतमूल

मलयालम- नन्नारी, कोडुवेलि

(मध्य भारत- छोटी दूधी, काली दूधी)

बाजार में अकोनाइट नाम से जो औषधियां बिकती हैं, प्रायः उनमें कई जातियों के प्रकद मिले रहते हैं।

अकोनाइट में जो एल्केलाइड होते हैं, वे प्रायः अत्यंत विषैले होते हैं और औषधि में उनका सेवन अत्यंत निर्धारित मात्रा में सावधानी से किया जाता है, अन्यथा नाना प्रकार के हानिकारक प्रभाव उत्पन्न होने का भय रहता है। इसलिए आजकल इस औषधि का प्रयोग केवल तंत्रिकाशूल (न्यूरेलजिया) या संबंधित रोगों में बाहरी लेप आदि में करते हैं। इसका सेवन नहीं किया जाता।