नक्स वोमिका के चमत्कार Nux Vomika


नक्स वोमिका (Nux Vomica)
यह औषधि उन व्यक्तियों के लिए अत्यन्त उपयोगी है जो स्वभाव से ईर्ष्यालु, जरा-सी बात से उत्तेजित या क्रोधित हो जाने वाले और दूसरों को नुकसान पहुँचाने की इच्छा रखते हैं । जो लोग बुद्धिजीवी हैं या देर तक बैठे रहकर कार्य करते रहते हैं | अत्यन्त असहिष्णु, जरा-सी बात पर चिढ़ जाने वाले, जरा-सी आवाज होते ही भयभीत
होने वाले तथा जो गंध से गश खा जाते हैं । झटका, ऐंठन, मरोड़, छूने मात्र से ही रोग-वृद्धि —तेज ताप वाले ज्वर में भी जिन्हें जाड़ा लगे, शरीर को जरा-सा खोलते ही ठंड का अनुभव हो, शरीर काँपने लगे ।

इंद्र जौ

 इंद्रजौ
(कुरची)
दृक्ष की छाल सुखाकर औषधि के काम आती है। इस औषधि का मुख्य उपयोग
औषधीय गुण
अमीबा पेचिश में होता है। छाल का क्वाथ बनाकर प्रयोग किया जाता है अथवा
उसमें कुछ अन्य औषधियां मिलाकर सेवन किया जाता है। छाल में पौष्टिक और
ज्वरनाशक गुण भी हैं। छाल में 'कोनेसीन' नामक एक एल्केलाइड होता है, जो क्षय रोग के जीवाणुओं (टुबरकुलर बेसिलाई) की बढ़ोतरी कम कर देता है।
इंद्रजी के बीजों में भी कुछ ऐसे एल्केलाइड हैं जो पेचिश में लाभप्रद हैं। पत्तों में औषधीय गुण बताए जाते हैं।

आंवला

आंवला
(एंबलिक-माइरोबलान)
औषधीय गुण
वृक्ष के ताजे या सुखाए हुए फल ही औषधि में काम आते हैं।
आंवला भारत की प्रसिद्ध औषधि त्रिफला में मिलाने वाले तीन फलों में से एक है (अन्य दो हैं, हर्रा और बहेड़ा)। 'त्रिफला' रेचक होता है और जिगर बढ़ जाने पर बवासीर में, नेत्र रोगों में तथा उदर विकारों में उपयोगी है। आंवले के फल जिगर के
लिए पौष्टिक होते हैं। कच्चे फल शीतल और मूदुरेचक होते हैं। फलों से बना सिरका अपच, रक्तक्षीणता, पीलिया, कुछ प्रकार के हृदय रोग तथा जुकाम में उपयोगी होता है। यह मूत्रल भी है। विटामिन 'सी' की कमी से होने वाले रोगों (जैसे स्कर्वी) में

असमानिया या एफेड्रा

असमानियां
(एफेड्रा)
औषधीय गुण
असमानियां की टहनियों को शरद ऋतु में इकट्ठा करके, सुखाकर औषधि में प्रयोग करते हैं। असमानियां से 'एफेड्रीन' निकलती है। यह दमा (विशेषकर श्वास नली की सूजन के कारण हुआ दमा) में लाभप्रद है। दमे के दौरे को शांत करने के लिए औषधि
का सेवन मुख से कराते हैं अथवा इंजेक्शन भी देते हैं। यही औषधि हृदय के लिए बलकारक व उत्तेजक है। यदि हृदय पर निमोनिया, डिप्थीरिया आदि का प्रभाव हो
गया हो, तो यह औषधि हृदय की गति को उन्नत करने के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है।

अश्वगंधा

अश्वगंधा
औषधीय गुण
अश्वगंधा की जड़ें औषधि में काम आती हैं।
अश्वगंधा क्षयरोग, दुर्बलता और गठिया में प्रयोग होती है। यह मूत्रल है तथा
इसमें स्वापक एवं अवरोधनाशक गुण भी हैं। जड़ों को पीसकर या घिसकर फोड़े,
जख्म और सूजन पर लगाते हैं
शोध/परीक्षण तथा अन्य सूचना
इस पौधे का प्रायः कुछ अन्य पौधों के साथ मिश्रण से आधुनिक यंत्रों द्वारा बनी
औषधियों का नवीनतम विधियों से औषधालयों में अनेक रोगियों पर सफल परीक्षण किया गया।
परीक्षणों द्वारा जड़ों एवं पत्तों के एंटीबायोटिक तथा एंटीबैक्टीरियल गुणों की पुष्टि हुई है।

अशोक

ऐसा कहा जाता है की जब घर के सामने हो
अशोक
तो काहे का शोक
अशोक का अर्थ होता है पवित्र और
लाभकारी। यही गुण इस वृक्ष में भी हैं।
यह उत्तर प्रदेश का राजकीय वृक्ष भी है। ताम्र
वर्ण के नए पत्तों के कारण इसे ताम्रपल्लव
तो लाल रंग के पुष्पों के कारण हेमपुष्पा
भी कहते हैं। घर के बाहर उत्तर दिशा में
लगा अशोक का पेड़ सकारात्मक ऊर्जा
प्रदान करता है। इसमें कई औषधीय गुण
भी होते हैं। खासतौर पर स्त्रियों से संबंधित
रोगों में इसका पंचांग बहुपयोगी है। कोरोना
काल में सर्वाधिक बात रोग प्रतिरोधक

बहुत काम का है अरंडी का पौधा जिससे कास्टर ऑयल प्लांट जाता है

अरंडी
(कैस्टर ऑयल)
औषधीय गुण
पौधे के बीज का तेल औषधि में काम आता है। स्वयं तो बीज विषैले होते हैं और दो-तीन बीज भी घातक हो जाते हैं।
बीज का तेल, जिसे अरंडी का तेल (या कैस्टर ऑयल; अपभ्रंश कास्ट्रैल) कहते हैं, तीव्र रेचक होता है। यह दूध या फलों के रस के साथ लिया जाता है। अरंडी का तेल आंख में डालने की औषधियों में तथा त्वचा पर ठंडक पहुंचाने के लिए कुछ मरहमों में मिलाया जाता है।

अमृत के समान गुणकारी है गिलोय इसलिए इसे अमृता भी कहते हैं।


क्या भगवान विष्णु को कभी किसी ने
वृद्ध रूप में देखा है, वृद्ध विष्णु की कल्पना किसी
भी चित्रकार, कवि या लेखक को क्यों नही आई? 
गि
उन्होंने समुद्र मंथन के बाद निकले हुए अमृत का
सेवन किया था। यदि ऐसा ही सदाबहार युवा,
किसी भी मनुष्य को रहना हो तो क्या रह सकता
है? उसको आज भी अमृत मिल सकता है। यदि
अमृत मिले तो मनुष्य भी सदाबहार रह सकता है। रि
प्राचीन काल में मिलने वाली दिव्य औषधियां ४
जिसका सुश्रुत ने उल्लेख किया है आजकल उनमें
से एक भी नहीं मिलती। तो क्या बुद्ध ने जैसे जीवन 

आपका होम्योपैथिक चिकित्सक आपसे कुछ अजीबोगरीब सवाल पूछ सकता है। डॉक्टर से मिलने से पहले इन्हें तैयार करके जाएं।

आप अपने अपने जीवन में कभी होम्योपैथिक चिकित्सा नहीं कराई है। तो उसके पास जाने से पहले समझ लीजिए वह किस तरह के सवाल आपसे पूछ सकता है हो सकता है यह सवाल आपको बहुत अटपटे लगे लेकिन यह होम्योपैथिक चिकित्सा करने के लिए इनका जवाब जानना चिकित्सक के लिए बहुत जरूरी होता है इसके आधार पर ही वह आपके लिए दवाई का चुनाव कर पाएगा। जब आप किसी भी होम्योपैथिक चिकित्सक के पास जाएं तो उससे पहले नीचे दे दिए गए सवालों के जवाब तैयार कर लें इन विषय पर आप चिंतन मनन कर लें जिससे चिकित्सक द्वारा पूछने पर आप उनके जबाव सही-सही दे पाएंगे।
(1) आपकी या रोगी की प्रकृति कैसी है ? उसे गर्मी अधिक लगती है या सर्दी?