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अमलतास के फलों का गूदा कब्ज दूर करने में बहुत अच्छा है

अमलतास
(कास्सिआ)
औषधीय गुण
यद्यपि इस वृक्ष के सभी भागों में कुछ न कुछ औषधीय गुण बताए जाते हैं, परंतु
इसके फल बहुत उपयोगी हैं और भारत के मान्य औषध कोश में भी उनका उल्लेख
है। फल का गूदा, जिसे कास्सिआ-पल्प कहते हैं, प्रख्यात रेचक औषधि है। अधिक
मात्रा में सेवन करने से यह हानिकारक है और अत्यधिक पतले दस्त, मतली (मिचली)
तथा उदरशूल हो सकते हैं। प्रायः अकेली इस औषधि का सेवन नहीं किया जाता,
इसको सनाय के पत्तों में मिलाकर लेते हैं।
अन्य सूचना
यह पौधा मूर्छा व पक्षाघात में उपयोगी है तथा स्मरण-शक्ति बढ़ाता है।
भारत के कई प्रांतों में विभिन्न जनजातियां इस पौधे के पत्ते त्वचा रोग हेतु
प्रयोग करते हैं। अतः इस पर नियमित शोध उपयोगी हो सकता है।
अन्य उपयोग
अमलतास की छाल को सुमारी कहते हैं। इसमें टैनीन प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसकी
लकड़ी मजबूत व कड़ी होती है और मकान, पुल तथा कृषि संबंधी नाना प्रकार के
औजार बनाने के काम आती है।
वैज्ञानिक (लैटिन) नाम, कुल, अन्य नाम तथा विवरण
वैज्ञानिक नाम : कासिआ फीस्टुला (Cassia fistula L.)
(कुल- सीसलपीनिएसिए)
: हिंदी-किराल, किलवली, सिनार
संस्कृत- सुवर्णका
कन्नड़-कक्केगिडा
गुजराती-गरमाड़ो
अन्य नाम 
तमिल-कोन्नेई, अलस
तेलुगू- रेला
बंगला-सोनाली, बंदरलाठी, सोंदाल
मराठी-बेहावा, जंबा
मलयालम- कृतमलम कोन्नेई
अंग्रेजी- इंडियन लैबर्नम
अमलतास के वैज्ञानिक नाम में फीस्टुला शब्द का संबंध इस वृक्ष के फलों के
बांसुरी जैसी आकृति से है।
वर्णन
यह एक छोटा या मझोली ऊंचाई का वृक्ष होता है। इसके पत्ते संयुक्त होते हैं। पत्रक
बड़े, 5-10 सेमी. लंबे, चमकीले, गहरे हरे रंग के होते हैं। अमलतास के फूल लगभग
3.5-5 सेमी. व्यास के, पीले रंग के और बहुत बड़े सुंदर लटकते हुए गुच्छों में होते हैं।
फल 50-60 सेमी. लंबे, बांसुरी की-सी आकृति के, काले या चमकीले गहरे कत्थई रंग
के होते हैं। जब वृक्ष फूलता है तो बहुत सुंदर दिखाई देता है और वन में दूर से ही पहचाना जा सकता है। फल आने की अवस्था में वृक्ष शोभनीय होता है। अमलतास के पत्ते ग्रीष्म ऋतु के आरंभ में, अर्थात् मार्च से मई तक गिर जाते हैं, किंतु इस समय वृक्ष फूलों से भर जाता है तथा समूचा वृक्ष दूर से पीला दिखता है।
प्राप्ति-स्थान
अमलतास 1,500 मी. ऊंचाई तक के स्थानों में लगभग समस्त भारत में ही मिलता
है। यह सदाहरित वनों में अधिक होता है। सड़कों के किनारे तथा उद्यान में लगाने के लिए अमलतास का वृक्ष बहुत उपयुक्त समझा जाता है और प्रायः लगाया भी जाता है।
अन्य जातियां
अमलतास के वंश की एक अन्य जाति सनाय (कास्सिआ आंगुस्टीफोलिया Cassia
angustifolia Vahl. अंग्रेजी- इंडियन सेन्ना; टिनेवेली सेन्ना, संस्कृत- भूपज्ञ,
मलयालम- नीलावाक) एक छोटी झाड़ी होती है। यह अरब व सोमालीलैंड का पौधा
है और दक्षिण भारत आदि में इसका रोपण किया गया है। इसके पत्ते तथा फल रेचक
और कब्ज के पुराने रोगियों के लिए उपयोगी हैं।
यदि बच्चों को अपना दूध पिलाने
वाली स्त्रियां इसका सेवन करें तो दूध में रेचक तत्त्व आ जाते हैं
इस वंश की कुछ अन्य जातियां भी औषधि में काम आती हैं।