Homeopathy
नक्स वोमिका के चमत्कार Nux Vomika
नक्स वोमिका (Nux Vomica)
यह औषधि उन व्यक्तियों के लिए अत्यन्त उपयोगी है जो स्वभाव से ईर्ष्यालु, जरा-सी बात से उत्तेजित या क्रोधित हो जाने वाले और दूसरों को नुकसान पहुँचाने की इच्छा रखते हैं । जो लोग बुद्धिजीवी हैं या देर तक बैठे रहकर कार्य करते रहते हैं | अत्यन्त असहिष्णु, जरा-सी बात पर चिढ़ जाने वाले, जरा-सी आवाज होते ही भयभीत
होने वाले तथा जो गंध से गश खा जाते हैं । झटका, ऐंठन, मरोड़, छूने मात्र से ही रोग-वृद्धि —तेज ताप वाले ज्वर में भी जिन्हें जाड़ा लगे, शरीर को जरा-सा खोलते ही ठंड का अनुभव हो, शरीर काँपने लगे ।
ऐकालिफाइण्डिका (ACALYPHA INDICA) (इण्डियन नेटल-मुक्तावर्षी)
ऐकालिफाइण्डिका (ACALYPHA INDICA)
(इण्डियन नेटल-मुक्तावर्षी)
आपका होम्योपैथिक चिकित्सक आपसे कुछ अजीबोगरीब सवाल पूछ सकता है। डॉक्टर से मिलने से पहले इन्हें तैयार करके जाएं।
आप अपने अपने जीवन में कभी होम्योपैथिक चिकित्सा नहीं कराई है। तो उसके पास जाने से पहले समझ लीजिए वह किस तरह के सवाल आपसे पूछ सकता है हो सकता है यह सवाल आपको बहुत अटपटे लगे लेकिन यह होम्योपैथिक चिकित्सा करने के लिए इनका जवाब जानना चिकित्सक के लिए बहुत जरूरी होता है इसके आधार पर ही वह आपके लिए दवाई का चुनाव कर पाएगा। जब आप किसी भी होम्योपैथिक चिकित्सक के पास जाएं तो उससे पहले नीचे दे दिए गए सवालों के जवाब तैयार कर लें इन विषय पर आप चिंतन मनन कर लें जिससे चिकित्सक द्वारा पूछने पर आप उनके जबाव सही-सही दे पाएंगे।
(1) आपकी या रोगी की प्रकृति कैसी है ? उसे गर्मी अधिक लगती है या सर्दी?
एसीटिकम एसिडम (ACETICUM ACIDUM)
एसीटिकम एसिडम (ACETICUM ACIDUM)
(ग्लैशियल एसीटिक एसिड-सिरका या विनिगर)
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यह औषधि अत्यधिक रक्ताल्पता जैसी स्थिति उत्पन्न कर देती है जिसके साथ कुछ
जलशोफज (dropsical) लक्षण, जबरदस्त कमजोरी, बार-बार मूर्छित होना, सांस फूलना
(dyspnoea), दुर्बल हृदय, वमन, अत्यधिक मूत्र एवं पसीना रहते हैं। शरीर के किसी भी
होती है, जिनकी पेशियाँ ढीली व थुलथुली होती है। शरीर की शक्ति में कमी होते जाना
भाग से रक्तस्राव होना। यह औषधि मुख्यत: पीले से (pale) दुर्बल व्यक्तियों में निर्देशित
ऐब्सीन्थियम (Absinthium)
ऐब्सीन्थियम
(Absinthium)
में
(Common Wormwood )-पौधा, उसके फूल और पत्तों से मूल-अब
तैयार होता है-मस्तिष्क, मज्जा ( medulla ) और मेरुदण्डमें रक्तकी अधि
कता ( कॉनजेस्शन ), मस्तिष्क में रक्तकी अधिकता की वजह से टाइफॉयड
ज्वरमें नींद न आना ( फेरिंगटन ), सदीं लगकर आँखोंमें प्रदाह ( आँख
आना ), यकृत-प्लीहा बढ़ी हुई मालूम होना-मानो यकृत फूल गया हो, पेट
बहुत वायु जमा होना, वायु-शूलका दर्द (wind colic ), बच्चोंकी बहुत
देरतक रहनेवाली अकड़न, मृगी, मन्दाग्नि (डिस्पेप्सिया ), हरित्पाण्डुरोग
एब्रोटेनम ( Abrotanum)
एब्रोटेनम
( Abrotanum)
[एक तरहकी लता के पत्तों का टिंचर]-कन्ध, हाथ, कलाई और
एड़ी में दर्द, गाँठे कड़ी, जकड़ी, वातके कारण दर्द ( फार्मिका ), शरीर काँपना,
निराशा, काम-काजले अनिच्छा, नींद न आना, पर्यायक्रमसे वात और बवासीर,
आमाशय (पेचिश), बहुत कमजोरीके साथ हेक्टिकज्वर (क्षय-ज्वर), बच्चोंका
एक तरहका हेक्टिक-ज्वर ( इन्फ्लुएञ्जाके बाद), मेटेसटेसिस (किसी रोगका
एक अङ्गसे दूसरेमें चला जाना ), बच्चोंका मैरास्मस (सुखण्डी : marasmus )
इत्यादि में इसका प्रयोग होता है, और ये ही इसके चरित्रगत लक्षण है। डॉ.
एबिस नाइग्रा Abies Nigra
एबिस नाइग्रा
( Abies Nigra
विभिन्न रोगावस्थाओं में जब भी आमाशयिक चारित्रगत लक्षण मिलें तो यह औषधि
प्रभावशाली एवं दीर्घक्रिया करती है। अधिकांश लक्षण पाचन-क्रिया सम्बन्धी दोषों से
सम्ब) रहते हैं। वृद्ध व्यक्तियों में मन्दाग्नि (dyspepsia) की शिकायतें, हृदय के क्रियात्मक
लक्षणों (functional symptoms) का मिलना अथवा चाय, तम्बाकू से भी मन्दाग्नि
(dyspepsia) की शिकायत होना। कब्जियत (constipation) रहना बाहरी छिद्रों में दर्द ।
सिर-तमतमाये लाल गालों के साथ गरम सिर रहना। हतोत्साहित। दिन में सुस्ती,
होम्योपैथी क्या है ?
होमियोपैथी क्या है ?
किसीके भी स्वस्थ शरीर में, किसी एक दवाका बार-बार प्रयोग करते
रहनेपर, दवाके लक्षणों-सा उत्पन्न कितने ही रोग-सदृश्य लक्षण प्रकट हुआ करते
हैं। यदि किसी बीमारी में वे सब लक्षण प्रकट हों, तो उस रोगमें उसी दवाकी
सूक्ष्म मात्राका प्रयोग कर जो चिकित्सा की जाती है, उसे ही होमियोपेथी या
'सदृश-विधान चिकित्सा' कहते हैं।
इस चिकित्सा की नींव महात्मा सैमुएल हैनिमैन ने डाली थी। वे जर्मनीके
एक कीर्तिप्राप्त उच्च-पदवीधारी ऐलोपैथिक डॉक्टर थे। वे कितने ही प्रधान-
होमियोपैथी के आविष्कारक कौन थे?
होमियोपैथी के आविष्कार डॉ० क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमन को माना जाता है। महात्मा हैनोमैन का जन्म 10 अप्रैल सन् 1755 ई० को
जर्मनी के सैक्सन राज्य के मैसेन नामक नगर में हुआ था। उनके पिता एक निर्धन व्यक्ति थे । वे मिट्टी के बर्तन तैयार करने वाले एक कारखाने में चित्र-कारी का काम करते थे । हैनीमैन के परिवार की गरीबी का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि रात्रि में अध्ययन के लिए हैनीमैन जिस मिट्टी के दीपक को जलाते थे, उसे उन्होंने स्वयं ही अपने हाथ से तैयार किया था।