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आपका होम्योपैथिक चिकित्सक आपसे कुछ अजीबोगरीब सवाल पूछ सकता है। डॉक्टर से मिलने से पहले इन्हें तैयार करके जाएं।

आप अपने अपने जीवन में कभी होम्योपैथिक चिकित्सा नहीं कराई है। तो उसके पास जाने से पहले समझ लीजिए वह किस तरह के सवाल आपसे पूछ सकता है हो सकता है यह सवाल आपको बहुत अटपटे लगे लेकिन यह होम्योपैथिक चिकित्सा करने के लिए इनका जवाब जानना चिकित्सक के लिए बहुत जरूरी होता है इसके आधार पर ही वह आपके लिए दवाई का चुनाव कर पाएगा। जब आप किसी भी होम्योपैथिक चिकित्सक के पास जाएं तो उससे पहले नीचे दे दिए गए सवालों के जवाब तैयार कर लें इन विषय पर आप चिंतन मनन कर लें जिससे चिकित्सक द्वारा पूछने पर आप उनके जबाव सही-सही दे पाएंगे।
(1) आपकी या रोगी की प्रकृति कैसी है ? उसे गर्मी अधिक लगती है या सर्दी?
वह किस मौसम में स्वयं को स्वस्थ अथवा अस्वस्थ अनुभव करता है ?
(2) नींद कैसी आती है ? किस करवट सोता है ? सोते समय क्या
अनुभव होता है ? गहरी नींद आती है या नहीं ? कैसे स्वप्न दिखायी देते हैं ?
(3) रोगी की इच्छाएं क्या हैं ? सुख-दुःख, आशा-निराशा तथा
मिलन-वियोग सम्बन्धी भावनाओं का वर्णन ?
(4) रोगी मांसाहारी है अथवा शाकाहारी?
(5) उसे खान-पान में कौन-सी वस्तुएं रुचिकर तथा कौन-सी अरुचि-
कर लगती हैं ?
(6) रोगी का रहन-सहन, वस्त्र, व्यवसाय, खान-पान निवास-स्थान,
काम तथा काम करने के स्थान का विवरण ।
(7) प्यास कितनी और दिन में कितनी बार लगती है ?
(8) क्या रोगी चाय, तम्बाकू, भांग, गाँजा, शराब, अफीम, कोकीन,
आदि का नशा करने का आदी है ? यदि हाँ, तो कितनी मात्रा में ?
(9) रोगी का स्वभाव कैसा है ? उसे क्या करना अच्छा या बुरा
लगता है ?
(10) रोग कितने दिनों से है ? क्या कभी पहले भी इस रोग की|
शिकायत रही थी?
(11) रोगी को पहले कौन-कौन-से प्रमुख रोग हो चुके हैं ?
(12) क्या रोगी के माता-पिता अथवा वंश में किसी को सूजाक,
गण्डमाला, बवासीर, उपदंश, प्रमेह, यक्ष्मा अथवा कोई अन्य संक्रामक रोग हो ।
चुका है, अथवा है ?
(13) वर्तमान-रोग कब और किस कारण से हुआ है
?
क्या वह खान-पान के दोष से हुआ है अथवा शरीर में किसी विष के प्रविष्ट हो जाने के कारण ?
(14) वर्तमान-रोग कितने दिनों से हैं ? रोग की स्थिति क्या है,
वह किस समय घटता-बढ़ता है ?
(15) क्या रोग होने से पूर्व अथवा बाद में रोगी ने कोई इजेक्शन
अथवा टीका लिया है ?
 (16) क्या रोगी अपने वर्तमान-रोग का पहले कोई इलाज कर
चुका है ?
नाही, तो किस पद्धति की कौन-कौन-सी औषधियाँ उसने सेवन की हैं ?
(17) पूर्वकालीन रोगों में रोगी क्या चिकित्सा कराता रहा है ?
(18) रोगी की मानसिक-अवस्था कैसी है ? क्या वह डरपोक,
अधीर
, चिन्तातुर अथवा चिन्ता-रहित एवं साहसी है ?
(19) रोगी को ऐसा अनुभव तो नहीं होता ? जैसे-- पाँवों का भीगे-
हुए-सा लगना, शरीर में चिउटी-सी रेंगना, गले में कुछ अटका-हुआ-सा
लगना आदि।
(20) रोगी के शरीर में यदि दर्द है तो उसकी क्या स्थिति है ?
दर्द वाले स्थान पर सूजन अथवा लाली तो नहीं है, सूजन कड़ी है अथवा
मुलायम ? क्या वहाँ दबाने से गड्ढा-सा बन जाता है ?
(21) शरीर के अन्य अङ्गों की क्या स्थिति है ? आँख, नाख, कान,
मुंह, जीभ, दाँत, जननेन्द्रिय की ठीक-ठीक स्थिति कैसी है ?
(22) खाना खाने के बाद मुंह से लार गिरना, पानी भर आना,
जी-मिचलाना, उल्टी होना, डकार आना, वमन में खून गिरना आदि की
शिकायतें तो नहीं हैं ?
(23) पाखाना कैसा होता हैं ? अपान-वायु की स्थिति क्या है ?
(24) पेशाब की क्या स्थिति है ? उसका रङ्ग कसा है ?
(25) गले की क्या स्थिति है ? उसमें सूजन जलन अथवा, निगलने
में तकलीफ आदि की कोई शिकायत तो नहीं है ?
(26) सामान्य-श्वास अथवा गहरी-श्वास लेते समय कोई कष्ट तो
नहीं होता ? श्वास अथवा दमे की शिकायत तो नहीं है ? फेफड़ों में कोई कष्ट
तो नहीं हैं ?
(27) शरीर के किसी स्थान पर गिल्टी, सूजन, दर्द, फोड़ा अथवा
कोई अन्य णिकायत तो नही है ?
(28) कोई चर्म रोग तो नहीं हैं ? पहले कोई चर्म-रोग तो नहीं
हुआ ? यदि हां, तो उस समय क्या चिकित्सा करायी थी ?

(29) पसीना कसा आता है ? पसीने का रूप, रंग तथा गन्धक
क्या स्थिति है ?
(30) रोगी को पाकस्थली अथवा प्लीहा सम्बन्धी कोई शिकायत ते
नहीं हैं ? भोजन ठीक पच जाता है या नहीं? भोजन के बाद कैसे लक्षण
दिखायी देते हैं। पेट में दर्द, भारीपन अथवा खालीपन का अनुभव तो नहीं
होता?
(31) रोगी ने किसी रक्त-शोधक अथवा पौष्टिक-औषध का सेवन ।
नहीं किया है ? यदि हाँ, तो कौन-सी ?
(32) रोगी के हाथ, पाँव, जाँघ, कन्धे, कुहनी, हथेली, अँगुली
घुटने तथा पाँवो के तलवे की क्या हालत है ?
(33) रोगी के नाखूनों की क्या स्थिति है ?
(34) रोगी को कोई शिरोरोग तो नहीं है ?
(35) रोगी के सिर के बालों की क्या स्थिति है ?
(36) रोगी को खाँसी है अथवा नहीं? यदि है, तो उसकी क्या
हालत है ? कफ का रूप-रंग एवं मावा कैसी है ?
(37) रोगी विवाहित है अथवा अविवाहित ? यदि विवाहित है, तो
सन्तान कितनी तथा किस आयु की है ?
(38) रोगी की सम्भोग-शक्ति कैसी है ? रोगी की कामेच्छा ।
क्या स्थिति है ?
(39) रोगी शारीरिक परिश्रम अथवा व्यायाम करता है या नहीं।
(40) रोगी की आर्थिक स्थिति कैसी है ?
स्त्री-रोगियों से निम्नलिखित प्रश्न और पूछने चाहिए:
(1) प्रदर की शिकायत तो नहीं है ? यदि हाँ, तो स्राव की
(2) कभी गर्भपात तो नहीं हुआ? यदि हाँ तो कितने बार ?
समय क्या विशेष तकलीफ हुई थी।
(3) गर्भ तो नहीं है ? यदि हाँ, तो कितने दिनों का है तथा के
कैसा है।
अनुभव होता है ? कौन-सी संख्या का गर्भ है ?

(4) विवाह हो चुका है अथवा नहीं ?
(5) बन्ध्या है अथवा बच्चे वाली ? कितने बच्चे हैं ? कितने जीवित
और कितने मर गए ! मृत-बालको को मृत्यु का कारण ?
(6) अपने बच्चे को स्वयं दूध पिलाती है अथवा नहीं?
(7) यदि गोद में कोई बच्चा है तो वह माँ के स्तन का दूध पीता है
अथवा ऊपरी?
(8) गुप्तांग में कोई रोग तो नहीं है ? अथवा पहले कभी हुआ था ?
यदि हां, तो कौन-सा और उसकी क्या चिकित्सा की गई ?
यदि रोगी शिशु हो तो उसके प्रकृति, स्वभाव, परेशानी, खान-पान,
पालन-पोषण आदि के विषय में माता-पिता अथवा संरक्षक से जानकारी प्राप्त
करनी चाहिए।
उक्त मुख्य प्रश्न के अतिरिक्त अन्य जो भी प्रश्न आवश्यक जान
पड़ें, उन्हें भी पूछे। सभी प्रश्नों को पूछकर कागज पर लिख लें फिर उन
सबके आधार पर सदृश-लक्षणों वाली औषध का निर्वाचन करें।