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Ayurveda

इंद्र जौ

 इंद्रजौ
(कुरची)
दृक्ष की छाल सुखाकर औषधि के काम आती है। इस औषधि का मुख्य उपयोग
औषधीय गुण
अमीबा पेचिश में होता है। छाल का क्वाथ बनाकर प्रयोग किया जाता है अथवा
उसमें कुछ अन्य औषधियां मिलाकर सेवन किया जाता है। छाल में पौष्टिक और
ज्वरनाशक गुण भी हैं। छाल में 'कोनेसीन' नामक एक एल्केलाइड होता है, जो क्षय रोग के जीवाणुओं (टुबरकुलर बेसिलाई) की बढ़ोतरी कम कर देता है।
इंद्रजी के बीजों में भी कुछ ऐसे एल्केलाइड हैं जो पेचिश में लाभप्रद हैं। पत्तों में औषधीय गुण बताए जाते हैं।

आंवला

आंवला
(एंबलिक-माइरोबलान)
औषधीय गुण
वृक्ष के ताजे या सुखाए हुए फल ही औषधि में काम आते हैं।
आंवला भारत की प्रसिद्ध औषधि त्रिफला में मिलाने वाले तीन फलों में से एक है (अन्य दो हैं, हर्रा और बहेड़ा)। 'त्रिफला' रेचक होता है और जिगर बढ़ जाने पर बवासीर में, नेत्र रोगों में तथा उदर विकारों में उपयोगी है। आंवले के फल जिगर के
लिए पौष्टिक होते हैं। कच्चे फल शीतल और मूदुरेचक होते हैं। फलों से बना सिरका अपच, रक्तक्षीणता, पीलिया, कुछ प्रकार के हृदय रोग तथा जुकाम में उपयोगी होता है। यह मूत्रल भी है। विटामिन 'सी' की कमी से होने वाले रोगों (जैसे स्कर्वी) में

असमानिया या एफेड्रा

असमानियां
(एफेड्रा)
औषधीय गुण
असमानियां की टहनियों को शरद ऋतु में इकट्ठा करके, सुखाकर औषधि में प्रयोग करते हैं। असमानियां से 'एफेड्रीन' निकलती है। यह दमा (विशेषकर श्वास नली की सूजन के कारण हुआ दमा) में लाभप्रद है। दमे के दौरे को शांत करने के लिए औषधि
का सेवन मुख से कराते हैं अथवा इंजेक्शन भी देते हैं। यही औषधि हृदय के लिए बलकारक व उत्तेजक है। यदि हृदय पर निमोनिया, डिप्थीरिया आदि का प्रभाव हो
गया हो, तो यह औषधि हृदय की गति को उन्नत करने के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है।

अश्वगंधा

अश्वगंधा
औषधीय गुण
अश्वगंधा की जड़ें औषधि में काम आती हैं।
अश्वगंधा क्षयरोग, दुर्बलता और गठिया में प्रयोग होती है। यह मूत्रल है तथा
इसमें स्वापक एवं अवरोधनाशक गुण भी हैं। जड़ों को पीसकर या घिसकर फोड़े,
जख्म और सूजन पर लगाते हैं
शोध/परीक्षण तथा अन्य सूचना
इस पौधे का प्रायः कुछ अन्य पौधों के साथ मिश्रण से आधुनिक यंत्रों द्वारा बनी
औषधियों का नवीनतम विधियों से औषधालयों में अनेक रोगियों पर सफल परीक्षण किया गया।
परीक्षणों द्वारा जड़ों एवं पत्तों के एंटीबायोटिक तथा एंटीबैक्टीरियल गुणों की पुष्टि हुई है।

अशोक

ऐसा कहा जाता है की जब घर के सामने हो
अशोक
तो काहे का शोक
अशोक का अर्थ होता है पवित्र और
लाभकारी। यही गुण इस वृक्ष में भी हैं।
यह उत्तर प्रदेश का राजकीय वृक्ष भी है। ताम्र
वर्ण के नए पत्तों के कारण इसे ताम्रपल्लव
तो लाल रंग के पुष्पों के कारण हेमपुष्पा
भी कहते हैं। घर के बाहर उत्तर दिशा में
लगा अशोक का पेड़ सकारात्मक ऊर्जा
प्रदान करता है। इसमें कई औषधीय गुण
भी होते हैं। खासतौर पर स्त्रियों से संबंधित
रोगों में इसका पंचांग बहुपयोगी है। कोरोना
काल में सर्वाधिक बात रोग प्रतिरोधक

बहुत काम का है अरंडी का पौधा जिससे कास्टर ऑयल प्लांट जाता है

अरंडी
(कैस्टर ऑयल)
औषधीय गुण
पौधे के बीज का तेल औषधि में काम आता है। स्वयं तो बीज विषैले होते हैं और दो-तीन बीज भी घातक हो जाते हैं।
बीज का तेल, जिसे अरंडी का तेल (या कैस्टर ऑयल; अपभ्रंश कास्ट्रैल) कहते हैं, तीव्र रेचक होता है। यह दूध या फलों के रस के साथ लिया जाता है। अरंडी का तेल आंख में डालने की औषधियों में तथा त्वचा पर ठंडक पहुंचाने के लिए कुछ मरहमों में मिलाया जाता है।

अमृत के समान गुणकारी है गिलोय इसलिए इसे अमृता भी कहते हैं।


क्या भगवान विष्णु को कभी किसी ने
वृद्ध रूप में देखा है, वृद्ध विष्णु की कल्पना किसी
भी चित्रकार, कवि या लेखक को क्यों नही आई? 
गि
उन्होंने समुद्र मंथन के बाद निकले हुए अमृत का
सेवन किया था। यदि ऐसा ही सदाबहार युवा,
किसी भी मनुष्य को रहना हो तो क्या रह सकता
है? उसको आज भी अमृत मिल सकता है। यदि
अमृत मिले तो मनुष्य भी सदाबहार रह सकता है। रि
प्राचीन काल में मिलने वाली दिव्य औषधियां ४
जिसका सुश्रुत ने उल्लेख किया है आजकल उनमें
से एक भी नहीं मिलती। तो क्या बुद्ध ने जैसे जीवन 

अमलतास के फलों का गूदा कब्ज दूर करने में बहुत अच्छा है

अमलतास
(कास्सिआ)
औषधीय गुण
यद्यपि इस वृक्ष के सभी भागों में कुछ न कुछ औषधीय गुण बताए जाते हैं, परंतु
इसके फल बहुत उपयोगी हैं और भारत के मान्य औषध कोश में भी उनका उल्लेख
है। फल का गूदा, जिसे कास्सिआ-पल्प कहते हैं, प्रख्यात रेचक औषधि है। अधिक
मात्रा में सेवन करने से यह हानिकारक है और अत्यधिक पतले दस्त, मतली (मिचली)
तथा उदरशूल हो सकते हैं। प्रायः अकेली इस औषधि का सेवन नहीं किया जाता,
इसको सनाय के पत्तों में मिलाकर लेते हैं।
अन्य सूचना

पुरानी कब्ज दूर करने का अचूक नुस्खा

अधिक दिनों के कब्ज को दूर करने वाला प्रयोग
कई व्यक्तियों को कब्ज इतना परेशान करता है, कि कई-कई दिनों तक शौच नहीं जाते। ऐसे लोगों का यही कहना होता है कि कब्ज उनका पीछा ही नहीं छोड़ता। कई लोग विज्ञापनों से प्रसिद्धि पायी कब्ज नाशक औषधि का प्रयोग करके कब्ज दूर करते हैं, लेकिन कुछ दिन वाद फिर वही स्थिति।
दरअसल समझदारी इसी में हैं, कि कब्ज दूर करने के लिए हमें अपने आहार-विहार पर ध्यान देना
चाहिये साथ ही ऐसे योगासन करने चाहिए जिनसे पाचन तंत्र मजबूत बने ताकि खाया-पिया ठीक
तरह से पचता रहे । लगातार कब्जनाशक औषधियों पर निर्भर रहना बहुत हानि कारक हैं, इनके सेवन

ऋतु के अनुसार हमारा आहार-विहार कैसा हो ?

जीवन रक्षा के लिए आहार या भोजन
अनिवार्य है। शरीर रूपी गाड़ी को सुचारू रखने
के लिये भोजन रूपी तेल आवश्यक है। बिना
भोजन के हमारा शरीर न तो चल फिर सकता है
और ना ही अधिक दिनों तक जीवित रह सकता
है। परन्तु अगर हम भोजन जरूरत से अधिक मात्रा
में ग्रहण करने लगे या भोजन मे आवश्यक पौष्टिक
तत्व न हो या गलत प्रकृति का भोजन करें या
भोजन ढंग से न करें तो शरीर बीमार पड़ जाता है,
समय से पहले बूढ़ा हो जाता हैं और नाना प्रकार
की यातनाओं को सहते हुए अकाल मर जाता है।
अत: शरीर को स्वस्थ और जीवित रखने के लिए