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अमरूद एक चमत्कारी फल है जानिए इसके खाने से क्या फायदे हो सकते हैं


अमरुद पाचन शक्ति ठीक करने वाला वीर्यवर्धक फल है। इसका प्रयोग सामान्य फल के रूप में तो किया ही जाता है, इसके साथ ही इसके पत्ते, फूल, बीज तथा अन्य भागों का उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण में किया जाता है। कई मायनों में अमरुद सभी फलों में श्रेष्ठ फल है। यही कारण है कि इसे अमृत फल का नाम दिया गया है।
अमरुद मूल रूप से एक विदेशी फल है। दक्षिणी अमरीका के इस फल को पुर्तगाली अपने साथ भारत लाये थे। यहां की जलवायु और मिट्टीअमरुद के लिये अनुकूल थी। भारत में जहां भी अमरुद के बीज बोये गये, वहीं इसके वृक्ष लग गये। धीरे-धीरे यह भारत के सभी राज्यों में फैल गया। इसे अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश,हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में इसे अमरुद, गुजरात में जामफल, महाराष्ट्र में पेरु, पश्चिमी बंगाल में पियारा तथा तमिलनाडु में पोड्या के नाम से जाना जाता है। भारत में इलाहाबाद का अमरुद सबसे अच्छा माना गया है। यहां का अमरुद आकार में बड़ा और स्वाद में मीठा होता है। अमरुद का वृक्ष आम या जामुन के समान
ऊँचा नहीं होता। इसकी ऊँचाई 15 से 25 फुट तक होती है।

इसकी शाखाएं पतली एवं बहुत कमजोर होती हैं। यही कारण है कि अमरुद कभी वृक्ष पर चढ़ कर नहीं तोड़ा जाता। उसके पत्ते हल्के हरे- पीले रंग के दो से चार इंच तक के होते हैं। शरद ऋतु आने के पूर्व अमरुद के वृक्ष पर छोटे-छोटे फूल भी निकलते हैं । ये सफेद रंग के और सुगंधितहोते हैं । अमरुद का वृक्ष लगाये जाने के लगभग चार वर्ष बाद इसमें फल आने लगते हैं। इसमें वर्षा ऋतु के अंत तक फल आ जाते हैं और शरद ऋतु के आते-आते फल पूरी तरह तैयार हो जाते हैं। इसके फल का भार पचास ग्राम से लकर पांच सौ ग्राम तक होता है।अमरुद के कुछ वृक्ष बारहमासी होते हैं अर्थात् इन पर पूरे वर्ष भर फल लगते हैं। अमरुद के मूल रूप से दो भेद हैं- सफेद अमरुद और लाल अमरुद। सफेद अमरुद के भीतर का गूदा सफेद और लाल का लाल होता है। लाल अमरुद को सफेद अमरुद की अपेक्षा अधिक गुणकारी माना गया है। इन दोनों किस्मों के अतिरिक्त अमरुद की एक तीसरी किस्म भी होती है, जिसे पहाड़ी अमरुद कहते हैं। यह उत्तर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में काफी मात्रा में पाया जाता है। दक्षिणी अमरीका का पेरु देश अमरुद के लिये विश्व विख्यात है। पेरु में अमरुद को भी पेरु कहा जाता है। पेरु का अमरुद आकार में सबसे बड़ा बीजों वाला तथा सर्वाधिक स्वादिष्ट होता है। इसी प्रजाति का अमरुद दक्षिण भारत के कुछ भागों में देखने को मिलता है।
अमरुद एक स्वास्थ्यवर्धक फल है। इसमें प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्सियम, फास्फोरस, आयरन एवं अन्य अनेक खनिज लवण पाये जाते हैं। अमरुद में विटामिन सी का अनोखा भंडार होता है। विटामिन सी इसके गूदे की अपेक्षा छिलकों में अधिक होता है। सामान्यतया एक किलोग्राम अमरुद में विटामिन सी की मात्रा तीन
ग्राम तक होती है।

अमरुद के फल तथा पत्ते सभी अत्यन्त उपयोगी होते हैं। इसके फल का नियमित सेवन
करने पर कब्ज की बीमारी सदैव के लिये समाप्त हो जाती है। अमरुद के बीजों में आयरन काफी भात्रा में पाया जाता है, अत: इसके बीजों को खूब चबा-चबा कर खाने से शरीर की आयरन सम्बंधी कमी पूरी हो जाती है। अमरुद का उपयोग दोपहर और रात्रि के भोजन के बाद करना चाहिये। अमरुद के साथ नमक, कालीमिर्च और नीबू का सेवन करने पर अतिसार एवं संग्रहणी समाप्त हो जाती है। यहां पर एक बात विशेष ध्यान देने योग्यहै-अमरुद की सब्जी बना कर खायी जा सकती है। इसे सुखा कर भी रखा जा सकता है, किंतु सूखे हुए अमरुद की भी केवल सब्जी ही खाना चाहिये। यदि भोजन के बाद अमरुद खाने से
खट्टी डकारें आने लगे या ऐसा अनुभव हो कि अमरुद अधिक खा लिये हैं तो सौंफ या गुड खाने से आराम मिलता है। सामान्यतया एक स्वस्थ व्यक्ति भोजन के बाद पांच सौ ग्राम अमरुद सरलता से ले सकता है।
अमरुद के औषधीय प्रयोग-
शीत ऋतु में अमरुद के पके फलों का नियमित सेवन करने से केवल पाचन क्रिया ही
नहीं ठीक रहती, बल्कि अन्य अनेक विकार भी समाप्त हो जाते हैं। इसके साथ ही अमरुद तथा इसके पत्तों का विशिष्ट प्रकार से सेवन करने पर अनेक असाध्य रोगों में भी लाभ होता है।
1. पके हुए अमरुदों का 250 ग्राम बीज रहित गूदा, 250 ग्राम दूध, और 10 ग्राम खांड के :
साथ मिला कर फेंट लें। इसे पीने से स्वप्नदोष एवं शीघ्र पतन में लाभ होता है।
2. पके अमरुद का बीज रहित गूदा 50 ग्राम लेकर 10 ग्राम शहद में मिला कर खाने से शक्ति एवं स्फूर्ति बढ़ती है।

3. अमरुद का गूदा 250 ग्राम दोपहर के भोजन के बाद और 250 ग्राम रात्रि में भोजन के 
बाद खाने से चिड़चिड़ापन एवं मानसिक चिन्ताएं है दूर होती हैं। इससे मानसिक तनाव समाप्त हो जाता है।
4. अमरुद का अर्क 10 ग्राम तथा शहद 5 ग्राम एक दूसरे में मिला कर फेंट लें और सुबह
शाम खाली पेट इसका सेवन करें। इससे सूखी खाँसी जड़ से समाप्त हो जाती है।
5. अमरुद का अर्क सुबह-शाम नियमित रूप से लेने पर पाचन क्रिया तथा पित्त सम्बन्धी
विकार दूर हो जाते हैं।
6. भोजन के साथ अमरुद की चटनी तथा भोजन के बाद अमरुद का मुरब्बा तीन महीने तक खाने से हृदय रोग में लाभ होता है। इससे रक्त सम्बन्धी विकार भी दूर हो जाते हैं।
7. अमरुद के 20-25 पत्तों को पानी में उबाल कर पत्ते अलग कर दें तथा इस पानी को
ठंडा करके इसमें फिटकरी मिला दें। इस पानी से कुल्ला करने पर दांतों का दर्द कम हो जाता है। अमरुद के ताजे पत्ते चबाने पर भी दांत दर्द में आराम मिलता है।
8. प्रातः खाली पेट 200 ग्राम बीजरहित अमरुद खाकर ऊपर से एक ग्लास ठंडा पानी पीने
से जमा हुआ पुराना जुकाम वह कर निकल जाता है।
9. ताजे, कच्चे अमरुद को पत्त्थर पर घिर कर उसका एक सप्ताह तक लेप करने से आधा सीसी का दर्द समाप्त हो जाता है। यह प्रयोग सूर्योदय के पूर्व करना चाहिये।
10. अमरुद के ताजे पत्तों का रस 10 ग्राम तथा पिसी मिश्री 10 ग्राम मिला कर 21 दिन प्रात:
काल खाली पेट सेवन करने से भूख खुलकर लगना आरम्भ हो जाती है।
11. अमरुद खाने या अमरुद के पत्तों का रस पिलाने से भाँग का नशा कम हो जाता है। धतूरा आदि खा लेने के बाद भी अमरुद के पत्ते का रस लेने से लाभ होता है।
12. ताजे अमरुद के 100 ग्राम बीज रहित टुकड़े लेकर उन्हें ठंडे पानी में चार घंटे भीगने
दीजिये। इसके बाद अमरुद के टुकड़े फेंक दीजिये तथा पानी मधुमेह के रोगी को पिलाइये। उसे लाभ होगा। यह पानी बहु मूत्र के रोगी के लिये भी लाभदायक होता है।अमरुद में और भी अनेक गुण हैं। इनकी उपयोगिता अनन्त है। अमरुद मानव के स्वास्थ्य के लिये कितना उपयोगी है, इसका पता अमरुद के सेवन करने के बाद ही लग सकता है।