2. अंतमूल
(टिलोफोरा)
औषधीय गुण
पौधों की जड़ों को सुखाकर औषधि में प्रयोग करते हैं।
अंतमूल को ईपकाक के स्थान पर भली भांति प्रयोग कर सकते हैं। इस कारण
यह पेचिश की चिकित्सा में विशेष लाभप्रद है। जड़ों का क्वाथ दमा और श्वास नली
की सूजन में दिया जाता है। इसके सेवन से कै (वमन) हो जाती है और खांसी में
शांति पड़ जाती है।
अन्य सूचना
अंतमूल नाड़ी तंत्र रोगों में भी उपयोगी बताया गया है।
अन्य नाम
वैज्ञानिक (लेटिन) नाम, कुल, अन्य नाम तथा विवरण
वैज्ञानिक नाम : टिलोफोरा इंडिका [Tylophora indica (Burm f.)Merr.]
(अस्वीकृत नाम : टिलोफोरा आस्थमाटिका)
(कुल- एस्कलीपिएडेसिए)
: उड़िया-मेंडी
कन्नड़-आडुमुट्टेदगिडा
तमिल-कगितम
मराठी-पितकारी
मलयालम- वल्लिपाल
पौधे के पुराने नाम से 'आस्थमाटिका' शब्द इसके दमा के रोग में उपयोगी होने
के कारण दिया गया था।
वर्णन
यह एक आरोही पौधा होता है। इनमें अनेक लंबी सरस जड़ें होती हैं। पत्ते
आमने-सामने 5-10 सेमी. लंबे, अंडाकार और प्रायः निशिताग्र होते हैं। फूल बड़े, पीले से रंग के होते हैं। उनके दलपुंज का भीतरी भाग बैगनी होता है। फूल छोटे गुच्छों में
लगते हैं। फल 5-10 सेमी. लंबे, शीर्ष पर नुकीले होते हैं, उन पर कई उभरी हुई
धारियां होती हैं। दो-दो फल एक साथ लगते हैं।
प्राप्ति-स्थान
यह पौधा मध्य, पूर्वी एवं दक्षिण भारत में पाया जाता है और प्रायः मैदानी प्रदेश में या
1,000 मी. ऊंचाई तक की तलहटियों में होता है।